शिक्षक दिवस 2024: 5 सितंबर को क्यों मनाया जाता है? जानिए इतिहास और महत्व, आज और पछले कल में क्या अंतर
भारत की सस्कृति में सदियों से गुरु शिष्य परम्परा के साथ एक मजबूत रिस्ता का सम्नन्वय रहा है। आज उसी परंम्परा को शिक्षक दिवस के रुप में समय के अनुसार डॉक्टर राधा कृष्णन की याद में प्रति 5 सितमम्बर को प्रति वर्ष मनाया जाता है। गुरु शिष्य के (शिक्षक और छात्र) के बीच के रिश्ते को सर्वोच्च महत्व दिया है। परंपरा को एक कदम आगे बढ़ाते हुए, हर साल 5 सितंबर को राष्ट्र शिक्षक दिवस मनाता है ताकि देश के भविष्य को नई ऊर्जा के साथ आकार देने में शिक्षकों के अपार योगदान को सम्मान किया जा सके।
शिक्षक दिवस 5 सितंबर को क्यों मनाया जाता है? इतिहास और महत्व
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शिक्षक दिवस 5 सितंबर को क्यों मनाया जाता है?इतिहास और महत्व
यह दिवस न केवल शिक्षकों के समर्पण और कड़ी मेहनत के लिए एक श्रद्धांजलि है, बल्कि भारत के सबसे सम्मानित विद्वानों में से एक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती का भी स्मरण करता है। जैसा कि भारत पूरे देश में सभी शिक्षकों का जश्न मनाता है और उन्हें सम्मानित करता है, यहाँ वह सब कुछ है जो आपको जानना चाहिए।
शिक्षक दिवस की उत्तपति कैसे हुई ? तथा शिक्षा और विषय
शिक्षक दिवस 5 सितंबर को क्यों मनाया जाता है?इतिहास और महत्व: शिक्षक दिवस की उत्पत्ति भारत में शिक्षक दिवस की उत्तपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन से जुड़ी हैं, जिनका जन्म 5 सितंबर, 1888 को तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी में हुआ था। एक प्रसिद्ध शिक्षक, डॉ. राधाकृष्णन की पहचान एक अकादमिक दिग्गज के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय और ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया।
दर्शनशास्त्र विषय में उन्हें खास रूचि थी। दर्शनशास्त्र में उनकी यात्रा एक संयोगवश हुई, जो एक चचेरे भाई से दर्शनशास्त्र की पाठ्यपुस्तकें प्राप्त करने से प्रेरित हुई। इस आकस्मिक शुरुआत के बावजूद, वे एक विशाल लेखक बन गए, जिन्होंने पूर्वी और पश्चिमी दर्शन को जोड़ने वाली कई रचनाएँ लिखीं।
डॉ. राधाकृष्णन का प्रभाव शिक्षा जगत से कहीं आगे तक फैला हुआ था। राष्टपति होने के बावजूद एक शिक्षक के तोर पर ख्याति पाई उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में अपने व्याख्यानों के माध्यम से अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शिक्षक दिवस 5 सितंबर का इतिहास और महत्व है।
शिक्षक दिवस 5 सितंबर को क्यों मनाया जाता है? इतिहास और महत्व नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकन
शिक्षा की पराकाष्ठा में के कारण दर्शन में उनके योगदान ने उन्हें 1931 में नाइटहुड और 1936 और 1937 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकन के साथ साथ कई पुरस्कार दिलाए। जब डॉ. राधाकृष्णन 1962 में भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने, तो उनके पूर्व छात्रों और मित्रों ने उनका जन्मदिन मनाने का प्रस्ताव रखा। जवाब में, उन्होंने सुझाव दिया कि उनके जन्मदिन को मनाने के बजाय, देश भर के शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाना अधिक सार्थक होगा। इस प्रकार, पहला शिक्षक दिवस 1962 में मनाया गया, और तब से यह परंपरा जारी है।
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शिक्षक दिवस का महत्व:
शिक्षक दिवस केवल व्यक्तियों के जीवन बल्कि समाज के भविष्य को आकार देने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण योगदान दिलाता है। यह दिन छात्रों को अपने शिक्षकों की कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए आभार और प्रशंसा व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।
पिछले कल और आज मे अंतर
शिक्षकों के लिए, 5 सितंबर एक उत्सव और चिंतन का समय दोनों ही तरीको से देता है। यह उन्हें अपने शिक्षण विधियों, छात्रों पर उनके प्रभाव और शैक्षिक समुदाय में सुधार करके भविष्य के लिए योगदान का आकलन करने का अवसर देता है, ताकि जीवन में अगाध जुड़ाव हमेशा के लिए बना रहे इसके अलावा, शिक्षक दिवस युवा पीढ़ी के लिए शिक्षण को एक महान और संतुष्टिदायक पेशे के रूप में मानने की प्रेरणा के रूप में कार्य करता है।
आज इनफार्मेशन और टेक्नोलॉजी के जवाने में लगभग ज्ञान भंडार टेक्नोलॉजी के माध्यम से भी प्राप्त होता है। किंतु शिक्षक अपने शक्षण आयाम के जुड़ाव से भविष्य की भावी पीढ़ी को सवारने में तालमेल का सामना करने में प्रतिबद्ध है।
विशेष गतिबिधी :
पूरे भारत में स्कूल और शैक्षिक संस्थान इस अवसर पर समारोह, सांस्कृतिक कार्यक्रम और गतिविधियाँ आयोजित करते हैं, जिसमें छात्र विशेष प्रदर्शन तैयार करते हैं, भावपूर्ण संदेश लिखते हैं और अपने शिक्षकों को उपहार देते हैं।