मार्गशीर्ष पूर्णिमा 15 दिसंबर 2024 इस दिन धार्मिक महत्व भक्त सत्यनारायण व्रत रखते हैं और चंद्र देव की पूजा करते हैं
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 15 दिसंबर 2024 को पड़ रहा है, जबकि पूर्णिमा तिथि 14 दिसंबर से शुरू होगी। आज के दिन भक्त जन सत्यनारायण व्रत रखते हैं और चंद्र देव की पूजा करते हैं। इस दिन धार्मिक महत्व होता है, क्योंकि इस दिन पवित्र स्नान, भगवान विष्णु की पूजा और दान-पुण्य जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दिन भगवान दत्तात्रेय की जयंती भी मनाई जाती है।
![मार्गशीर्ष पूर्णिमा 15 दिसंबर 2024 इस दिन धार्मिक महत्व Margashirsha Purnima 15 December 2024](https://expressupdate.in/wp-content/uploads/2024/12/Untitled-design-86-300x163.webp)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 15 दिसंबर 2024 इस दिन धार्मिक महत्व।
प्रत्येक महिने। में पूर्णिमा तिथि आती है, इसे हर महीने पड़ने वाला एक शुभ दिन माना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह मार्गशीर्ष का महीना है, इसलिए इस महीने में आने वाली पूर्णिमा को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन भक्त सत्यनारायण व्रत रखते हैं और चंद्र देव की पूजा करते हैं। इस महीने, मार्गशीर्ष पूर्णिमा 15 दिसंबर, 2024 को पड़ने जा रही है।
पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है, इसलिए पूर्णिमा तिथि 14 दिसंबर 2024 को पड़ रही है और भक्तों को आज ही सत्यनारायण व्रत करना चाहिए। मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2024: तिथि और समय
पूर्णिमा तिथि आरंभ – 14 दिसंबर 2024 – 04:58 PM पूर्णिमा तिथि समाप्त – 15 दिसंबर 2024 – 02:31 PM पूर्णिमा पर चंद्रोदय – 15 दिसंबर 2024 – 5:56 PM यह भी पढ़ें: सत्यनारायण व्रत और पूजा विधि
और भी जानें मिथुन राशि साप्ताहिक राशिफल 8 से 14 दिसंबर तक क्या है ख़ास
सत्यनारायण पूजा व्रत की विधि (Satyanarayan Puja Vidhi in Hindi)
सत्यनारायण भगवान की पूजा हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और कल्याणकारी मानी जाती है। यह पूजा किसी भी शुभ कार्य, विशेष अवसर या संकट निवारण के लिए की जाती है। नीचे सत्यनारायण पूजा की संपूर्ण विधि दी गई है:
सत्यनारायण पूजा व्रत की तैयारी
- पूजा सामग्री:
- कलश, नारियल, आम के पत्ते
- भगवान विष्णु और सत्यनारायण की प्रतिमा या तस्वीर
- रोली, चावल, हल्दी, कुमकुम, फूल, फूलों की माला
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर)
- फल, मिष्ठान, तुलसी दल
- गेहूं का आटा, गुड़ या चीनी, घी (प्रसाद के लिए)
- दीपक, अगरबत्ती, कपूर
- कथा की पुस्तक (सत्यनारायण व्रत कथा)
- स्थान का चयन:
घर में स्वच्छ और पवित्र स्थान का चयन करें। वहाँ भगवान की मूर्ति स्थापित करें। - स्नान और संकल्प:
सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा शुरू करने से पहले संकल्प लें और व्रत का उद्देश्य भगवान के समक्ष प्रकट करें। -
पूजा विधि
- कलश स्थापना:
पूजा स्थान पर कलश रखें। कलश में जल भरें, उसमें सुपारी, चावल, और सिक्का डालें। आम के पत्ते कलश के ऊपर रखें और उस पर नारियल रखें। - भगवान की प्रतिमा या चित्र की स्थापना:
भगवान सत्यनारायण की मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थल पर रखें। उन्हें फूलों की माला पहनाएं। - पूजा शुरू करें:
- भगवान को स्नान कराएं (पंचामृत और स्वच्छ जल से)।
- चंदन, कुमकुम, और हल्दी का तिलक लगाएं।
- भगवान को फूल, तुलसी दल, और फल चढ़ाएं।
- दीपक और अगरबत्ती जलाकर भगवान की आरती करें।
- सत्यनारायण व्रत कथा सुनें या पढ़ें:
सत्यनारायण भगवान की कथा पढ़ना या सुनना पूजा का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। कथा के पांच अध्यायों को श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ें। - प्रसाद तैयार करें:
- प्रसाद के लिए गेहूं का आटा, गुड़ या चीनी, और घी का मिश्रण बनाएं। इसे हलवे के रूप में तैयार करें।
- भगवान को प्रसाद अर्पित करें।
- आरती करें:
कथा समाप्त होने के बाद भगवान की आरती करें। “ॐ जय लक्ष्मी पति नारायण” या “ॐ जय जगदीश हरे” आरती गाएं। - प्रसाद वितरण:
पूजा समाप्त होने के बाद परिवार और उपस्थित लोगों में प्रसाद वितरित करें।
पूजा का महत्व
सत्यनारायण व्रत और पूजा:
- संकट निवारण, समृद्धि, और सुख-शांति के लिए की जाती है।
- इसे पूर्ण श्रद्धा और नियम से करना चाहिए।
- पूजा के समय भगवान के प्रति भक्ति और विनम्रता बनाए रखें।
- कलश स्थापना: