वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर अपडेट: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम 2025 की याचिकाओं पर सुनवाई की, सिंघवी ने वक्फ में 116% की वृद्धि के सरकार के दावे का खंडन किया।
याचिकाकर्ताओं की 100 से अधिक जमवड़ा ने संशोधनों के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है, उनका तर्क है कि ये मुसलमानों के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। उम्मीद है कि अदालत प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाने पर विचार करेगी
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया गया। याचिकाकर्ताओं की ओर से दलीलें शुरू करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ को बताया कि विवादास्पद कानून केंद्र द्वारा वक्फ संपत्तियों का “धीरे-धीरे अधिग्रहण” है, जिससे मुसलमानों के अपने धार्मिक मामलों के प्रबंधन के अधिकार का उल्लंघन होता है।
सिंघवी ने वक्फ में 116% की वृद्धि के दावे का खंडन किया
उन्होंने आगे तर्क दिया कि 2025 के संशोधन कई दशकों में विकसित वक्फ कानून के सुस्थापित ढांचे से मौलिक रूप से अलग हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन, ए.एम. सिंघवी और हुजेफा अहमदी ने भी अपनी दलीलें रखीं।
इससे पहले कार्यवाही में, केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि न्यायालय पहले तीन विशिष्ट चिंताओं पर विचार-विमर्श कर सकता है – क्या न्यायालयों द्वारा वक्फ घोषित की गई संपत्तियों को गैर-अधिसूचित किया जा सकता है, उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ और विलेख द्वारा वक्फ की वैधता – कानून के इर्द-गिर्द व्यापक प्रश्नों पर आगे बढ़ने से पहले।
सिंघवी ने वक्फ में 116% की वृद्धि के दावे का खंडन किया
हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने इस दृष्टिकोण का कड़ा विरोध किया, यह तर्क देते हुए कि इस मामले में मौलिक संवैधानिक प्रश्न शामिल हैं जिन्हें “टुकड़ों” में हल नहीं किया जा सकता है।
केंद्र ने 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की स्वीकृति के बाद पिछले महीने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया था। विधेयक को लोकसभा में 288 सदस्यों के पक्ष में और 232 के विरोध में पारित किया गया था। राज्यसभा में 128 सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया, जबकि 95 ने इसका विरोध किया।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिव्वळ :
कप्पिल सिब्बल ने वक्फ संपत्ति की जांच में उचित प्रक्रिया की कमी पर चिंता जताई
सिब्बल ने कहा कि 2025 के संशोधनों पर रोक न लगाने से अपूरणीय क्षति होगी
सिब्बल का कहना है, 2025 के संशोधन वक्फ संपत्तियों का ‘धीरे-धीरे अधिग्रहण’ करते है
सिब्बल कहते हैं संशोधन धार्मिक मामलों के प्रबंधन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करते है
मुसलमान होने का प्रमाण
श्री अहमदी का पूछना है, कि क्या कोई ऐसा भेद है जो मुझे मुसलमान बनाता है? उन्होंने उस प्रावधान का हवाला दिया जिसके अनुसार किसी व्यक्ति को वक्फ समर्पित करने से पहले कम से कम पांच साल तक खुद को मुसलमान साबित करना होता है।
20 मई, 2025 16:18
वक्फ संपत्ति स्मारकों के रूप में
वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी 2025 अधिनियम की धारा 3डी का हवाला देते हैं।
‘इस अधिनियम या किसी पिछले अधिनियम के तहत वक्फ संपत्तियों के संबंध में जारी की गई कोई भी घोषणा या अधिसूचना अमान्य होगी, यदि ऐसी संपत्ति प्राचीन स्मारकों के तहत संरक्षित स्मारक या संरक्षित क्षेत्र थी।’
यह बड़ी संख्या में मस्जिदों के ‘विनाश’ के बराबर है, यदि उन्हें प्राचीन स्मारकों के संरक्षण अधिनियम, 1904 या प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत स्मारक घोषित किया गया है,
सिंघवी ने सरकार के वक्फ में 116% की वृद्धि के दावे का खंडन किया
सिंघवी ने सरकार के 2013-2024 के दौरान वक्फ में 116% की वृद्धि के दावे का खंडन किया। बताया कि उन्होंने कहा कि पोर्टल पर वक्फ को लोड करना 2013 में शुरू हुआ था। वे (सरकार) पोर्टल में लिस्टिंग को वक्फ में वृद्धि के रूप में अपडेट करने की कवायद मान रहे हैं। सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में पक्षपातपूर्ण तर्क दिया।
श्री सिंघवी ने कहा। कुल 8.72 लाख वक्फ संपत्तियां, जिनमें से 4 लाख से अधिक वक्फ-बाय-यूजर हैं। 50% वक्फ-बाय-यूजर हैं।
उन्होंने कहा कि जेपीसी रिपोर्ट से पता चलता है कि वक्फ का सर्वेक्षण 28 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल 5 में किया गया था।
20 मई, 2025 15:52 अपराह्न।
सिंघवी और मेहता के बीच हल्के फुल्के अंदाज में नोकझोंक होने के उपरांत, श्री सिंघवी ने तर्क दिया कि वक्फ अधिनियम पर प्राचीन स्मारक अधिनियम को लागू करने से पूजा स्थल अधिनियम के साथ भी ऐसा ही होगा।
श्री मेहता ने आपत्ति जताई। श्री सिंघवी ने हल्के-फुल्के अंदाज में शिकायत की कि श्री मेहता उन्हें दी गई आवंटित समय्यनुसार 15 मिनट के दौरान बेंच के सामने गलत बातें कहने का मौलिक अधिकार नहीं दे रहे हैं।
20 मई, 2025 15:49
सिंघवी के अनुसार अधिनियम का विरोध करने के पांच कारण
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 2025 अधिनियम के प्रावधानों में वक्फ को आतंक, नियंत्रण और सरकारी कार्यालय के अंतहीन चक्कर लगाने की कोशिश की गई है।
उन्होंने कहा कि किसी की आस्था का प्रमाण मांगना अनुच्छेद 15 के तहत धर्म के आधार पर भेदभाव है।
उन्होंने कहा कि वक्फ-बाय-यूजर काफी हद तक अपंजीकृत है।
श्री सिंघवी ने कहा कि जिस समय जिला कलेक्टर किसी संपत्ति को वक्फ न करने का निर्णय ले लेता है, उस समय कोई कानूनी उपाय उपलब्ध नहीं होता।
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम 2025 की याचिकाओं पर सुनवाई की
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