For what reasons is Chhath Puja celebrated?

आस्था का महापर्व छठ पूजा किन किन कारणों से मनाया जाता है

आस्था का महापर्व छठ पूजा किन किन कारणों से मनाया जाता है। छठ महापर्व महाकाव्य रामायण और महाभारत की प्राचीन ग्रंथों पर आधारित धर्म और आस्था का त्योहार को कर्ण और सीता जैसे शक्तिशाली व्यक्तियों से जोड़ती है।

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
सूर्य के प्रति कृतज्ञता: भक्त सूर्य देव का धन्यवाद करते हैं, जिन्हें समस्त जीवन के , ऊर्जा और पोषण का स्रोत माना जाता है।
छठी मैया की पूजा: देवी छठी मैया (जिन्हें षष्ठी देवी के नाम से भी जानते हैं। उनकी पूजा संतान की दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए की जाती है। एक किंवदंती के अनुसार, उन्होंने निःसंतान राजा प्रियव्रत को पुत्र रत्न की प्राप्ति का आशीर्वाद दिया था।

प्राचीन महाकाव्यों से संबंध: इस त्योहार की उत्पत्ति महाभारत काल से मानी जाती है, जब कर्ण और द्रौपदी जैसे महापुरुष सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए अनुष्ठान करते थे।
पवित्रता और भक्ति: छठ पूजा को बिना किसी मूर्ति या मध्यस्थ के, अनुशासन, उपवास और पवित्रता पर ज़ोर देने वाले अनुष्ठानों के माध्यम से ईश्वर से जुड़ने के एक तरीके के रूप में देखा जाता है। इसे महाव्रत के नाम से भी जानते है। 

आस्था का महापर्व छठ पूजा किन किन कारणों से मनाया जाता है

For what reasons is Chhath Puja celebrated?
उनकी पूजा संतान की दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए की जाती है। गंगा घाट पटना संध्या अर्घ।

वैज्ञानिक और पर्यावरणीय कारण
सूर्योदय और सूर्यास्त के लाभ: चार दिवसीय इस त्यौहार में प्रथम पूजा खरना से शुरू होकर परना पड़ जाकर समाप्त की विधी है। इसमें डूबता और ऊगते सूर्य की प्रार्थना की जाती है। क्योंकि यह डूबते और उगते सूर्य, दोनों का सम्मान और आभार व्यक्त की जाती  है। इन समयों पर सूर्य की पराबैंगनी (यूवी) किरणें सबसे कमज़ोर होती हैं, जिससे वे शरीर के लिए सबसे ज़्यादा फ़ायदेमंद होती हैं और माना जाता है कि ये आध्यात्मिक और शारीरिक शुद्धि में मदद करती है।

प्रकृति से जुड़ाव: ये अनुष्ठान नदी, झील या तालाब के किनारे किए जाते हैं, जो जल, पृथ्वी और सूर्य के प्रकाश जैसे प्राकृतिक तत्वों के साथ गहरे जुड़ाव और सामंजस्य का प्रतीक हैं।

सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
समुदाय और समानता: यह त्योहार विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों को सामूहिक पूजा-अर्चना के लिए एक साथ एकत्रित होकर आभार व्यक्त करते हैं, जिससे सामाजिक सद्भाव और समानता को बढ़ावा मिलता है, क्योंकि पुरुष और महिलाएं इसमें सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।

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अनुशासन और नवीनीकरण: त्रि दिवसीय कठोर उपवास  (निर्जला उपवास के सहारे) और अनुष्ठान और  अनुशासन को बढ़ावा देने और आंतरिक शुद्धि एवं आध्यात्मिक नवीनीकरण प्राप्त करने का एक तरीका माना जाता है।

आवश्य पढ़ें: छठ पूजा आस्था और भरोसे का त्यौहार।  

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