चुनाव आयोग ने J&K के मुख्य सचिव को 1 अक्टूबर को सुबह 11 बजे तक विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव के कारण लागू आदर्श आचार संहिता और चुनाव से जुड़े अधिकारियों के तबादलों पर प्रतिबंध का हवाला दिया।J&K के मुख्य सचिव से 1अक्टूबर तक अनुपालन रिपोर्ट माँगा
स्पस्टीकरण के मुद्दे: आयोग ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा एक सैन्य अधिकारी की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में नियुक्ति पर रोक लगा दी है। केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान से एक दिन पहले यह कदम उठाया गया।
जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव को लिखा गया एक लिखित आदेश में चुनाव आयोग ने प्रशासन के उस आदेश का हवाला दिया है, जिसमें कर्नल विक्रांत प्रशर, पैरा, हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल, गुलमर्ग को जम्मू-कश्मीर पुलिस में एसएसपी (प्रशिक्षण) और स्पेशल (ऑपरेशन) के रूप में नियुक्त किया गया है।
J&K के मुख्य सचिव से 1अक्टूबर तक अनुपालन रिपोर्ट माँगा विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अनुपालन रिपोर्ट माँगा।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि, “इस चरण में एमसीसी के संचालन की समय के दौरान सिविल साइड में एसएसपी के रूप में एक सेना अधिकारी की नियुक्ति की प्रक्रिया और तात्कालिकता के औचित्य पर विचार किए बिना, आयोग निर्देश देता है कि इस आदेश को तत्काल प्रभाव से स्थगित रखा जाए।” आदेश में ये भी कहा गया है, “यदि आदेश पहले ही लागू हो चुका है, तो आदेश जारी करने से पहले की यथास्थिति को तुरंत बहाल किया जाना चाहिए।”
चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव को 1 अक्टूबर को सुबह 11 बजे तक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, साथ ही आयोग से “आवश्यक मंजूरी प्राप्त किए बिना आदेश जारी करने” के औचित्य पर विस्तृत स्पष्टीकरण भी देना है उचित कहा है।
विधान सभा जम्मू और कश्मीर चुनाव 2024 J&K के मुख्य सचिव से 1अक्टूबर तक अनुपालन रिपोर्ट माँगा।
जम्मू और कश्मीर चुनाव का तीसरा चरण 1 अक्टूबर को होगा। तीसरे चरण में 39.18 लाख से अधिक मतदाता 5,060 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का प्रयोग करने के पात्र हैं, जिसमें जम्मू क्षेत्र के जम्मू, उधमपुर, सांबा और कठुआ और उत्तरी कश्मीर के बारामुल्ला, बांदीपोरा और कुपवाड़ा में 40 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।
सात दशकों में पहली बार: शरणार्थी विधानसभा चुनाव में वोट देंगे ‘ एक सामान्य नागरिक की बात जानें :
वेस्ट पाक रिफ्यूजीज एक्शन कमेटी ऑफ 1947 के अध्यक्ष 63 वर्षीय लाभा राम गांधी कहते हैं, “हालांकि हम संसदीय चुनावों में अपने मताधिकार का प्रयोग करते रहे हैं, लेकिन विधानसभा चुनावों में हमें इस अधिकार से वंचित कर दिया गया, क्योंकि हमें जम्मू-कश्मीर का नागरिक नहीं माना गया।”
पहली बार जम्मू-कश्मीर में समाज के हाशिए पर पड़े तबके, जिनमें पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थी और वाल्मीकि शामिल हैं, पहली बार विधानसभा चुनावों में हिस्सा लेंगे। 1947 के पश्चिमी पाक शरणार्थी एक्शन कमेटी के अध्यक्ष 63 वर्षीय लाभ राम गांधी ने कहा, “हालांकि हम संसदीय चुनावों में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते रहे हैं, लेकिन विधानसभा चुनावों में हमें इस अधिकार से वंचित कर दिया गया क्योंकि हमें जम्मू-कश्मीर का नागरिक नहीं माना गया।”
लगातार कश्मीर-केंद्रित शासनों द्वारा उन्हें समान अधिकारों से वंचित करने और उनके साथ दूसरे दर्जे के नागरिक जैसा व्यवहार करने के बाद, वाल्मीकि समाज, पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों और गोरखाओं को अंततः अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद समान अधिकार मिले। उन्हें जून 2020 में अधिवास प्रमाण पत्र जारी किए गए।
गांधी ने कहा, “ये विधानसभा चुनाव हमारे लिए अपनी पसंद के विधायकों को वोट देने का पहला मौका है। हमने तय किया है कि हम ढोल-नगाड़ों के साथ मतदान केंद्रों पर जाएंगे और मिठाइयां बांटेंगे। पिछले सात दशकों का हमारा सपना सच हो गया है।” उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस जैसी कश्मीर केंद्रित पार्टियों की आलोचना की। पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों में 23,000 परिवार शामिल हैं, जिनके करीब 1.50 लाख वोट हैं। पाकिस्तान के सियालकोट से पलायन करने के बाद वे लखनपुर के कीरियां गंडियाल से अखनूर के पल्लनवाला में बस गए हैं। गांधी ने कहा कि उन्होंने समुदाय को भाजपा को वोट देने का निर्देश दिया है, क्योंकि उन्होंने उन्हें वोटिंग का अधिकार दिया है।
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वाल्मीकि समुदाय के प्रमुख नेता 45 वर्षीय घारू भट्टी ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किए। भट्टी ने कहा, “पहली बार हमने विभिन्न पार्टियों के उम्मीदवारों को हमारे इलाकों में प्रचार करते देखा। भाजपा और कांग्रेस के अलावा अन्य पार्टियों के उम्मीदवार भी हमारे पास आए। पहले तो कोई भी हमारे अस्तित्व को स्वीकार करने की जहमत नहीं उठाता था।”
गांधी नगर इलाके में वाल्मीकि कॉलोनी में करीब 2,000 वोट हैं और वाल्मीकि समुदाय की आबादी करीब 8,000 से 10,000 है। उन्होंने कहा, “आज हम खुद को मुख्यधारा के समाज का हिस्सा महसूस करते हैं। हालांकि दूसरी पार्टियों ने भी यहां प्रचार किया, लेकिन हमारा वोट भाजपा को जाएगा, जिसने पिछले सात दशकों से हमारे साथ हो रहे भेदभाव को खत्म किया है।” ( न्यूज आभार एच टी )