demand for secular civil code in modi's speech

पीएम मोदी के भाषण में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता समय की मांग

 प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में कहा: “धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता समय की मांग”

पीएम मोदी का भाषण में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता समय की मांग की बात विशेष तौर पर कही गई है, लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के घोषणापत्र में कहा गया था कि पार्टी राष्ट्र के हित में समान नागरिक संहिता पर विचार करती है। आज प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में साफ साफ दिखाई दे रहा था।

स्वतंत्रता दिवस 2024: प्रधानमंत्री मोदी ने आज सुबह लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित किया यह प्रधानमंत्री मोदी के तीसरी कार्यकाल की पहली लाल किले पर भारत की गर्जना का भाषण था। आज सुबह अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में समान नागरिक संहिता की जोरदार बातें कही उन्होंने कहा देश की तरक्की के लिए अलग अलग संप्रदाय से हटकर एक संविधान के मत को स्वीककार करना होगा।  करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश को विभाजित करने वाले कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं है और उन्हें समाप्त किया जाना चाहिए।

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पीएम मोदी के भाषण में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता समय की मांग धर्म और जाति से हटकर सोचना होगा

पीएम मोदी के भाषण में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता समय की मांग धर्म और जाति से हटकर सोचना होगा

प्रधानमंत्री ने अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत के दो महीने बाद लाल किले की प्राचीर से कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता पर बार-बार चर्चा की है, आदेश दिए हैं, क्योंकि देश का एक बड़ा वर्ग महसूस करता है, और यह सही भी है, कि मौजूदा नागरिक संहिता एक सांप्रदायिक नागरिक संहिता है, एक भेदभावपूर्ण नागरिक संहिता है। संविधान हमें बताता है, सुप्रीम कोर्ट हमें बताता है और यह संविधान निर्माताओं का सपना था। इसलिए इसे पूरा करना हमारा कर्तव्य है।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “इस  मुद्दे पर गंम्भीर चर्चा होनी चाहिए, सभी को एक मत के साथ अपनी राय देना चाहिए और देश को धार्मिक आधार पर ना परखते हुए  बांटने वाले कानूनों को खत्म किया जाना चाहिए। आधुनिक समाज में इनके लिए कोई जगह नहीं है। समय की मांग है कि एक धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता हो। और तब हम धार्मिक भेदभाव से मुक्त हो जाएंगे।”

इससे पहले, लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के घोषणापत्र में कहा गया था कि पार्टी राष्ट्र के हित में समान नागरिक संहिता पर विचार करती है। भाजपा के नेतृत्व वाली कई राज्यों में  सरका पहले ही समान नागरिक संहिता  कानून लागू करने की दिशा में कार्यरत है।

पीएम मोदी के भाषण में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता समय की मांग “मैं भ्रष्टाचारके खिलाप लड़ता रहूँगा”

इस पृष्ठभूमि में, प्रधानमंत्री की टिप्पणी सरकार की ओर से अपने वर्तमान कार्यकाल में इस विवादास्पद मुद्दे को अखिल भारतीय स्तर पर सुलझाने की मंशा की ओर इशारा करती है।

प्रधानमंत्री ने आज कहा कि उन्हें लगता है कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों को लेकर समाज में आक्रोश है और राज्य सरकारों को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब ममता बनर्जी सरकार कोलकाता के एक अस्पताल में डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में भारी गुस्से और विरोध का सामना कर रही है।

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हमारे देश की माताओं और बहनों के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को लेकर जनता में आक्रोश और तनाव का माहौल है। मैं इस तनाव और आक्रोश को महसूस करता हूं। देश, समाज और हमारी राज्य सरकारों को इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। महिलाओं के प्रति गंभीर सहज स्थिति को लाना होगा, अपराधों की जल्द से जल्द जांच होनी चाहिए, राक्षसी कृत्यों में शामिल लोगों को जल्द से जल्द सख्त सजा मिलनी चाहिए, समाज में विश्वास पैदा करने के लिए यह आवश्यक है।” समाज के दरिंदे के लिए भय पैदा करना होगा।

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