India & Russia have lost to the deepest and darkest China

भारत और रूस को सबसे गहरे और अंधकारमय चीन के हाथों खो दिया है

 ट्रम्प का नवीनतम बदलता बयान पर पीएम जबाब “हमने भारत और रूस को सबसे गहरे और अंधकारमय चीन के हाथों खो दिया है” संबंधों के बारे में ट्रंप के सकारात्मक आकलन का हम पूरी तरह से जवाब देंगे। 

अमेरिकी राष्ट्रपतिआजकल हालिया टैरिफ चर्चा से उबर भी नहीं पाए थे तभी उन्होंने 5 अगस्त को  सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि “ऐसा लग रहा है कि हमने भारत और रूस को सबसे गहरे और अंधकारमय चीन के हाथों खो दिया है।” इसके बाद उन्होंने फिकर लहजे में तीनों देशों के लिए “समृद्ध” भविष्य की कामना की। 

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आज एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि “ऐसा लग रहा है कि हमने भारत और रूस को सबसे गहरे और अंधकारमय चीन के हाथों खो दिया है,” और फिर व्यंग्यात्मक लहजे में तीनों देशों के “समृद्ध” भविष्य की कामना की।

भारत और रूस को सबसे गहरे और अंधकारमय चीन के हाथों खो दिया है

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस सप्ताह की शुरुआत में तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मेज़बानी की।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस सप्ताह के शुरू में तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मेजबानी की थी।

ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल पर लिखा, “लगता है कि हमने भारत और रूस को सबसे गहरे और अंधकारमय चीन के हाथों खो दिया है। ईश्वर करे कि उनका भविष्य लंबा और समृद्ध हो!”

भारत और रूस को सबसे गहरे और अंधकारमय चीन के हाथों खो दिया है

यह टिप्पणी नई दिल्ली, मास्को और बीजिंग के बीच गहरे होते संबंधों की ट्रंप की अब तक की सबसे तीखी सार्वजनिक स्वीकृति है। तीनों नेताओं ने ऊर्जा से लेकर सुरक्षा तक, विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग पर सार्वजनिक रूप से चर्चा की, हालाँकि यूक्रेन युद्ध और वैश्विक व्यापार नीति जैसे मुद्दों पर ये तीनों अलग-अलग स्तरों पर वाशिंगटन से असहमत थे।

दशकों से छे आ रहे सम्बन्ध, वाशिंगटन भारत को चीन के बढ़ते प्रभाव के संभावित प्रतिकार के रूप में देखता रहा है। रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक, दोनों ही प्रशासनों ने नई दिल्ली को एक रणनीतिक साझेदार के रूप में विकसित करने में निवेश किया है। ट्रंप ने खुद अपने पहले कार्यकाल के दौरान भारत को लुभाया था, 2019 में ह्यूस्टन में “हाउडी मोदी” रैली में प्रधानमंत्री मोदी के साथ दिखाई दिए थे और जापान व ऑस्ट्रेलिया के साथ चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता (क्वाड) को पुनर्जीवित किया था।

फिर भी, हालिया घटनाक्रम संबंधों में आई नरमी और देश के तरक्की की ओर इशारा करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप के टैरिफ़ उपायों और रूस के साथ भारत के ऊर्जा व्यापार की आलोचना ने वाशिंगटन की स्थिति को कमज़ोर कर दिया है।

भारत और रूस को सबसे गहरे और अंधकारमय चीन के हाथों खो दिया है ट्रम्प के बयान के बाद पीएम मोदी ने कहा, संबंधों के बारे में डोनाल्ड ट्रंप के सकारात्मक आकलन का हम पूरी तरह से जवाब देंगे। 

प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत और अमेरिका के बीच एक बहुत ही सकारात्मक और दूरदर्शी व्यापक और वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (6 सितंबर, 2025) को कहा कि वह भारत-अमेरिका संबंधों के बारे में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सकारात्मक आकलन की गहराई से सराहना करते हैं।

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श्री प्रधानमंत्री मोदी की सोशल मीडिया पोस्ट पर यह टिप्पणी श्री ट्रम्प द्वारा यह कहे जाने के कुछ ही घंटों बाद आई कि अमेरिका और भारत के बीच विशेष संबंध हैं और वह हमेशा प्रधानमंत्री के मित्र बने रहेंगे।

श्री मोदी ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रम्प की भावनाओं और हमारे संबंधों के सकारात्मक मूल्यांकन की मैं गहराई से सराहना करता हूँ और पूरी तरह से उनका समर्थन करता हूँ।”

उन्होंने कहा, ‘‘भारत और अमेरिका के बीच बहुत सकारात्मक और दूरदर्शी व्यापक एवं वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है।’’

वाशिंगटन में, 5 सितंबर, 2025 को श्री ट्रम्प ने शुक्रवार कहा, “मैं हमेशा (नरेंद्र) मोदी का दोस्त रहूँगा, वह एक महान प्रधानमंत्री हैं। वह महान हैं। मैं हमेशा उनका दोस्त रहूँगा, लेकिन मुझे इस समय वह जो कर रहे हैं, वह पसंद नहीं आ रहा है।” उन्होंने ओवल ऑफिस में कहा, “लेकिन भारत और अमेरिका के बीच एक विशेष रिश्ता है। चिंता की कोई बात नहीं है। बस कभी-कभी हमारे बीच कुछ पल आते हैं।” 

 

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