कारगिल विजय दिवस 2024: इतिहास, महत्व और कारगिल के नायकों के बारे में जानने योग्य बातें।
कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को उन भारतीय सैनिकों की बहादुरी को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था। यह आयोजन भारत और पाकिस्तान के बीच मई 1999 में शुरू हुए कारगिल युद्ध के समापन का प्रतीक है। भारतीय सेना ने जम्मू और कश्मीर के कारगिल सेक्टर में पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ की गई रणनीतिक स्थिति को सफलतापूर्वक पुनः प्राप्त किया।

आज श्री प्रधानमंत्री मोदी शिंकुन ला सुरंग परियोजना का पहला वर्चुअली करेंगे। लेह को हर मौसम में संपर्कको बांधने के लिए निमू-पदुम-दारचा रोड पर लगभग पंद्रह हजार 800 फीट की ऊंचाई पर 4.1 किलोमीटर लंबी यह ट्विन-ट्यूब सुरंग बनाई जाएगी। पूरा होने के बाद यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी। शिंकुन ला सुरंग न केवल हमारे सशस्त्र बलों और उपकरणों की तेज और कुशल आवाजाही सुनिश्चित करेगी बल्कि लद्दाख में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा देगी। जिससे जान जीवन आसान होगा।
कारगिल विजय दिवस 2024: इतिहास
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में एक बड़े युद्ध में हुए थे, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ। दोनों देशों शक्तियाँ सियाचिन ग्लेशियर पर अपना वर्चस्व कायम करने के लिए आस-पास की पर्वत श्रृंखलाओं पर सैन्य चौकियाँ बनाकर अपनी लड़ाई जारी रखती हैं। जब 1998 में दोनों देशों ने अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण किया, तो पड़ोसियों के बीच दुश्मनी अपने चरम पर पहुँच गई। तनाव को कम करने के लिए, उन्होंने फरवरी 1999 में लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए और कश्मीर मुद्दे के द्विपक्षीय, शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान भी किया।
पाकिस्तानी सेना ने 1998-1999 की सर्दियों में एनएच 1ए पर होने वाली गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए लद्दाख क्षेत्र में कारगिल के द्रास और बटालिक सेक्टरों में गुप्ततरीकों से सेनाभेजती रही। स्थानीय सैन्य और नागरिक आंदोलनों पर प्रभाव हासिल करना उनका लक्ष्य था। उन दिनों भारतीय सेना ने घुसपैठियों को कट्टरपंथी आतंकवादी समझ लिया। लेकिन जल्द ही भारतीय सेना को एहसास हो गया कि यह कुछ बड़ा और ज़्यादा योजनाबद्ध था। भारतीय पक्ष ने हमले का जवाब दिया और क्षेत्र में लगभग 2,00,000 सैनिकों को जुटाया, जिससे युद्ध प्रारंभ हो गया,अंततः जित भी हासिल की।
कारगिल विजय दिवस 2024: महत्व
कारगिल दिवस 1999 के युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान का सम्मान करता है। जम्मू-कश्मीर में हुई इस लड़ाई में 527 भारतीय सैनिकों ने अपनी जान गंवाई थी। पाकिस्तानी सेना ने गुप्त रूप से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया और महत्वपूर्ण पर्वतीय चौकियों पर कब्ज़ा कर लिया। भारतीय सेना ने कठिन पहाड़ी इलाकों और खराब मौसम के बावजूद बहादुरी से लड़ाई लड़ी और इन चौकियों को फिर से हासिल किया। जब पाकिस्तानी सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा, तब भारत को विजेता घोषित किया गया।
आज भी हर व्यक्ति के मन में कारगिल युद्ध जीत की यादें समाहित हैं। जो भाव भीनी श्रद्धांजलि के साथ याद की जाती है। देखे सोशल मीडिया के जरिए लोगों ने क्या प्रतिकिर्या जाहिर की है।
कारगिल विजय दिवस उन वीर योद्धाओं को सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। देश की सीमाओं की रक्षा में उनकी बहादुरी और धैर्य को श्रद्धांजलि के रूप में, यह दिन हर साल बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ पूरा देश मनाता है।
कारगिल युद्ध के नायक
यह दिन हमारे देश के लिए सैनिकों के अमूल्य प्यार और बलिदान का प्रतीक है। बहादुर सैनिक हमारी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना साहस और समर्पण दिखाते हैं। वीरता और लचीलेपन के उनके असाधारण कार्य उन्हें सच्चे नायक बनाते हैं। जिनमें से कुछ चरितारर्थ है।
लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे (1/11 गोरखा राइफल्स)लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे ने दुश्मन के ठिकानों को खाली करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके साहस, वीरता और प्रेरक नेतृत्व को मान्यता देने के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव (18 ग्रेनेडियर्स)
योगेंद्र सिंहयादव जो सिर्फ 19 साल के थे, ने टाइगर हिल पर बहादुरी से लड़ाई लड़ी।वो गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद लड़ाई लड़ते रहें और भारतीय सेना को दुश्मन के प्रमुख बंकरों पर कब्जा करने में मदद की। उनके साहस को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। देश उनके बलिदान को सलाम करता है।
राइफलमैन संजय कुमार (13 जेएके राइफल्स)
संजय कुमार ने बहुत बहादुरी दिखाई और प्वाइंट 4875 पर कई बार घायल होने के बाद भी लड़ते रहें । उनके द्वारा की गई महत्वपूर्ण कार्रवाई ने उन्हें परमवीर चक्र से सम्मनित किया गया।
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Very well written 👍