Lokmanya Bal Gangadhar Tilak Bhini Tribute

1अगस्त1920 लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक भाव भीनी श्रद्धांजली

1अगस्त1920 लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के मृत्यु दिवस के अवसर पर पुरा देश भव भीनी श्रद्धांजली अर्पित कर रहा है। उनके जीवन से जुड़ी उपलब्धियाँ

जन्म और प्रारंभिक जीवन: लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के चिखली गांव में हुआ था। उनके पिता गंगाधर तिलक एक संस्कृत के विद्वान और एक स्कूल शिक्षक थे। बाल गंगाधर तिलक ने पुणे के डेक्कन कॉलेज से बीए और बाद में एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। आज उनकी 1अगस्त1920 लोकमान्य बाल गंगाधर टिळक भाव भीनी श्रद्धांजली(मृत्यु दिवस के अवसर पर)

1अगस्त1920 लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक भाव भीनी श्रद्धांजली के रूप मृत्यु दिवस को मना रहा है।

शिक्षा और पेशा: शिक्षा के क्षेत्र में तिलक ने उल्लेखनीय योगदान दिया। उन्होंने ‘दक्कन एजुकेशन सोसाइटी’ की स्थापना की और न्यू इंग्लिश स्कूल, फर्ग्यूसन कॉलेज जैसे कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी शिक्षा से संबंधित दृष्टिकोण यह था कि भारतीय युवाओं को अपनी संस्कृति और इतिहास की जानकारी होनी चाहिए।

आज देश के कोने कोने से लोगों के मन में उनके लिए श्रद्धा सुमन अर्पित है. हिन्दुस्थान उनके त्याग को कभी भूल नहीं पायेगा।

भारत के प्र्धानमंत्री और गणमान्य नेताओं ने उन्हें याद किया।कुछ यादें पेश है.

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान: तिलक का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान था। उन्होंने स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा दिया और ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा’ का नारा दिया। उन्होंने ‘केसरी’ और ‘मराठा’ जैसे समाचार पत्रों के माध्यम से अपने विचारों को जनता तक पहुंचाया।

Lokmanya Bal Gangadhar Tilak Bhini Tribute
बाल गंगाधर तिलक की दुर्लभ छाया प्रति। इमेज आभार @ विक्किपीडिया

राजनीतिक गतिविधियाँ: तिलक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता थे। उन्होंने कांग्रेस के गरम दल का नेतृत्व किया और उनकी नीतियों का प्रभाव आजादी के आंदोलन पर स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। तिलक ने अपने जीवन के कई वर्ष जेल में बिताए और जेल में ही उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘गीता रहस्य’ लिखी।

1अगस्त1920 लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक भाव भीनी श्रद्धांजली

मृत्यु: 1 अगस्त 1920 को मुंबई में बाल गंगाधर तिलक का निधन हो गया। उनके निधन से भारत ने एक महान नेता खो दिया, लेकिन उनकी शिक्षाएँ और आदर्श आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। आप विकीपीडिया हिंदी के माध्यम से उनके जीवन से जुडी और भी घटना का संज्ञान ले सकते हैं।

  • उनके जीवन से जुड़ी कुछ उपलब्द्धियाँ पेश है:

1. गणेश उत्सव और शिवाजी जयंती की स्थापना: तिलक ने भारतीय समाज को संगठित करने और उनमें देशभक्ति की भावना जागृत करने के लिए सार्वजनिक गणेश उत्सव और शिवाजी जयंती की शुरुआत की। इससे न केवल समाज को एकजुट होने का मौका मिला, बल्कि लोगों में स्वतंत्रता संग्राम के प्रति जागरूकता भी बढ़ी।

2. केसरी और मराठा पत्रिकाएँ: तिलक ने अपने विचारों और राष्ट्रवादी भावना को जन-जन तक पहुँचाने के लिए ‘केसरी’ (मराठी) और ‘मराठा’ (अंग्रेजी) नामक पत्रिकाओं का प्रकाशन शुरू किया। इन पत्रिकाओं ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ लोगों को जागरूक और प्रेरित किया।

3. बर्मा निर्वासन (मांडले जेल): 1908 में, अंग्रेजी सरकार ने तिलक पर राजद्रोह का आरोप लगाकर उन्हें छह साल के लिए बर्मा (अब म्यांमार) की मांडले जेल में निर्वासित कर दिया। जेल में रहते हुए तिलक ने ‘गीता रहस्य’ नामक अपनी प्रसिद्ध पुस्तक लिखी, जिसमें उन्होंने भगवद गीता के कर्म योग की व्याख्या की।

4. स्वदेशी आंदोलन: तिलक ने स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा दिया और लोगों से अपील की कि वे विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करें और भारतीय वस्त्रों का उपयोग करें। उन्होंने इसे आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना।

5. कांग्रेस में गरम दल का नेतृत्व: तिलक ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भीतर गरम दल (चरमपंथी गुट) का नेतृत्व किया। उन्होंने नरम दल (मध्यमार्गी गुट) के विपरीत स्वतंत्रता के लिए सीधे और तेज़ कदम उठाने की वकालत की। इस विचारधारा ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी।

6. होम रूल लीग: 1916 में, तिलक ने एनी बेसेंट के साथ मिलकर होम रूल लीग की स्थापना की। इसका उद्देश्य भारतीयों को स्वशासन (होम रूल) दिलाना था। इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नई ऊर्जा भरी और व्यापक समर्थन प्राप्त किया।

7. स्वतंत्रता संग्राम का नारा: तिलक का प्रसिद्ध नारा ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा’ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बन गया। इस नारे ने लाखों भारतीयों को स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया और उनमें नई ऊर्जा भरी।

इन घटनाओं और किस्सों से यह स्पष्ट होता है कि लोकमान्य तिलक का जीवन संघर्ष, साहस और देशभक्ति से परिपूर्ण था। उनकी उपलब्धियाँ और आदर्श आज भी भारतीय समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

निष्कर्ष: लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान नेता थे। उनके साहस, नेतृत्व और देशभक्ति ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेगा।

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