Sakat Chauth Vrat

सोमवार 29 जनवरी सकट चतुर्थी व्रत गणेशजी पूजा विधि-विधान

Sakat Chauth Vrat Katha हिन्दू कलेंडर के अनुसार आज सकट चतुर्थी का व्रत है। सौभ्य संतान सुख की इच्छा रखने वाली स्त्री रखती है यह व्रत जाने विधि विधान

Sakat Chauth Vrat
इस दिन भगवान गणेश के साथ सकट माता की भी आराधना की जाती है.

सोमवार 29 जनवरी सकट चतुर्थी व्रत गणेशजी पूजा विधि-विधानSakat Chauth Vrat Katha: हिंदू धर्म में सकट चौथ का महत्व वेहद खास होता माना है। इस दिन भगवान गणेश के साथ सकट माता की भी आराधना की जाती है. इस व्रत को स्त्रियां अपने पति और संतान की दीर्घायु और सफल जीवन के लिए करती हैं।

कहा जाता  है, कि  भगवान गणेश विघ्न हर्ता हैं, यह व्रत व्यक्ति के सभी प्रकार के संकटों का नाश करता है इसलिए इस दिन को संकटमोचन भी कहते हैं।  महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखकर गणेश भगवान की पूजा करती हैं और शाम को चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से जीवन की बड़ी से बड़ी परेशानियों से भी छुटकारा पाया जा सकता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन कुछ व्रत कथा सुनने से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और गणेश भगवान का आशीर्वाद बना रहता है. ऐसे में चलिए जानते हैं सकट चौथ व्रत से जुड़ी कहानि

सकट चौथ व्रत कथा (Sakat Chauth Vrat Katha)

एक बार गणेश जी बाल रूप में थोड़े से चावल और एक चम्मच दूध लेकर पृथ्वी पर भ्रमण के लिए निकले. पृथ्वी पर वे सबसे कहते घूम रहे थे कि कोई मेरी खीर बना दो लेकिन किसी ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया, तभी एक गरीब बुढ़िया ने उनकी आवाज सुनी और उनकी खीर बनाने के लिए तैयार हो गई। बुढ़िया के मानने पर गणेशजी ने घर का सबसे बड़े बर्तन में खीर बनाने को कहा।  गणेश जी की बाल लीला को बढ़ी अम्मा समझती हुए  घर का सबसे बड़ा भगोना चूल्हे पर चढ़ा दिया.\ .

इसके बाद बुढ़िया ने गणेश जी से पूछा कि बाकी बची खीर का अब क्या करें, तो गणेश जी ने कि इसे नगर में बांट दो और जो बचें उसे अपने घर की जमीन में दबा दो. इतना कहकर गणेश जी वहां से चले गए. अगले दिन जब सोकर बुढ़िया उठी तो उसने देखा कि उसकी झोपड़ी महल में बदल गई है और खीर के बर्तन सोने, जवाहरातों से भरे हुए हैं. भगवान गणेश की कृपा से गरीब बुढ़िया का घर धन दौलत से भर गया.

सकट चौथ पूजा विधि व्रत की बिधि धर्मिक ग्रंथ के अनुसार इस प्रकार है।

व्रत वाले दिन सुबह सुबह सिर धोकर नहा लें और हाथों में मेंहदी लगाएं, सफेद तिल और गुड़ के तिलकुट बनाएं,  एक पटरे पर जल का लौटा, रोली, चावल, एक कटोरी में तिलकुट और रुपये रखें. जल के लौटे पर रोली से सतिया बनाकर 13 टिक्की करें. चौथ और गणेश जी की कहानी सुनें. इस दौरान थोड़ा सा तिलकुट हाथ में ले लें। कहानी सुनने के बाद एक कटोरी में तिलकुट और रुपये रखकर सासू जी को देकर पैर छू लें और आशर्वाद लें। अब रात्रि बेला में  जल का लौटा और हाथ में रखें तिल उठाकर रख दें. रात को चन्द्रमा  को देखकर इसी जल से चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलें। जो व्रत कहानी सुनाएं उसे कुछ रुपये और तिलकुट दें. व्रत खोलते समय तिलकुट और शकरकंद जरूर खाएं।

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expressupdate पूजा और विधि को करने के लिए वाध्य नही यह बिल्कुल श्रद्धालु की अपनी सोच और भगीदारी होगी। 

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