BJP और JJP का गठबंधन अब ख़त्म जो चुकी है। बीजेपी नेता और लोकसभा सांसद नायब सिंह सैनी ने मंगलवार को हरियाणा के राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।
बीजेपी नेता और लोकसभा सांसद नायब सिंह सैनी ने मंगलवार को हरियाणा के राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इससे पहले बीजेपी नेता मनोहर लाल खट्टर ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दिया सियासी दाव पेच के बिच नया घमासान।
इसके बाद बीजेपी के विधायक दल की बैठक हुई। बीजेपी सांसद नायब सिंह सैनी को विधायक दल का नेता चुना गया. सैनी को पिछले साल ही हरियाणा में पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था। ताजा खबर है कि हरियाणा की जगाधरी सीट से विधायक कंवर पाल सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।
हरियाणा में बीजेपी और दुष्यंत चौटाला की जनता पार्टी ने मिलकर सरकार बनाई थी। दुष्यंत चौटाला हरियाणा के डिप्टी सीएम बने थे. दोनों सरकारों बीजेपी और जे जे पी बीच गठबंधन टूटने की बात कही जा रही है. इसके बाद ही मुख्यमंत्री ने इस्तीफ़ा देने का फ़ैसला किया मंगलवार को किया
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने अपने विधायकों की बैठक बुलाई
कांग्रेस नेता और हरियाणा के नेता प्रतिपक्ष भूपिंदर सिंह हुड्डा ने बीजेपी और जेजेपी के गठबंधन को स्वार्थ के लिए बनाया गठजोड़ कहा है.
हुड्डा ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, “एक और समझौता हो गया हरियाणा में. पहले 2019 में जब ये सरकार बनी थी तब स्वार्थ में ये (बीजेपी-जेजेपी) यार बन गए थे. अब एक और समझौता हो गया गठबंधन अलग करने का.”
हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं. इनमें से 41 विधायक बीजेपी के हैं और 10 जेजेपी के विधायक हैं. बीजेपी दावा कर रही है कि उसे पाँच निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है.
हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं. इनमें से 41 विधायक बीजेपी के हैं और 10 जेजेपी के विधायक हैं. बीजेपी दावा कर रही है कि उसे पाँच निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, बीजेपी और दुष्यंत चौटाला की जेजेपी हरियाणा में लोकसभा चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ेगी.
हरियाणा लोकहित पार्टी के अध्यक्ष गोपाल कांडा ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, ”मेरे ख़्याल से गठबंधन लगभग टूट गया है. लोकसभा चुनावों में बीजेपी हरियाणा की 10 की 10 सीटें जीतेगी. बीजेपी के लिए कोई संकट नहीं है. मैंने पहले भी कहा है कि सभी निर्दलीय विधायकों का बीजेपी को समर्थन है. हम साढ़े चार साल से बीजेपी के साथ खड़े हैं और आगे भी रहेंगे.”
हरियाणा के सियासत में हलचल मनोहर लाल खट्टर ने दिया इस्तिफा:कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, ”अभी जब पूरा घटनाक्रम हो जाएगा, तब उस पर विस्तार से बात करेंगे. मगर अभी हरियाणा में जो हो रहा है, वो हरियाणा की जनभावना के दबाव में हो रहा है. हरियाणा की जनता ने परिवर्तन का मन बना लिया है. हरियाणा का जन-जन नाराज़ है, निराश है. हरियाणा में ये सब इसी के दबाव में हो रहा है.”
राजनीतिक विश्लेषकों के बीच हरियाणा में मनोहर लाल को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाए जाने को बीजेपी के राजनीतिक दांव के रूप में देखा जा रहा है.
वह कहते हैं, “मुझे नहीं लगता कि इससे बीजेपी को कोई बहुत बड़ा फायदा होने वाला है. क्योंकि हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर से लेकर किसानों और व्यापारी वर्ग में बीजेपी के प्रति नाराज़गी का भाव है.”
नाराज़गी का भाव है.”
“इसके साथ ही हरियाणा जो कि 36 बिरादरी वाला राज्य हुआ करता था, उसे दो बिरादरी में कर दिया गया है. इससे जाटों को अलग-थलग छोड़ने की स्थिति पैदा हुई. साथ ही मुस्लिम बेल्ट में भी काफ़ी नाराज़गी है. हालांकि, ये छोटी है. हरियाणा के यमुना नगर और नूंह-मेवात में इसका असर है.”
ये माना जा रहा है कि बीजेपी ने नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर ओबीसी समुदाय को अपनी ओर खींचने की कोशिश की है. क्योंकि नायब सिंह सैनी ओबीसी समुदाय से ही आते हैं.
“बीजेपी ने सैनी बिरादरी के शख़्स को मुख्यमंत्री बनाया है. ये बहुत बड़ा वोट बैंक नहीं है. लेकिन प्रभावित करने की स्थिति में है. ये एक तरह से किसानों को बांटने की कोशिश है. लेकिन अभी भी सैनी बिरादरी बहुतायत में बीजेपी के साथ ही है.”
साथ ही है.”
“ऐसे में मुझे नहीं लगता है कि इससे कोई बड़ा लाभ मिलने वाला है. किसी बड़े चेहरे को मुख्यमंत्री नहीं बनाया है. नायब सैनी को खट्टर का सबसे क़रीबी नेता माना जाता है. एक तरह से खट्टर ने ही उनका राजनीतिक विकास किया है. ऐसे में माना जाएगा कि सैनी एक डमी सीएम के रूप में काम करेंगे. ऐसे में इससे भी कोई फायदा मिलने वाला नहीं है.”
हरियाणा से जुड़ी मंगलवार की बड़ी ख़बरों में अनिल विज की नाराज़गी की ख़बरें भी शामिल थीं.
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विज की ओर से जताई गयी इस नाराज़गी पर अजय शुक्ला कहते हैं, “इससे बीजेपी के अंदर नाराज़गी ज़रूर पनपेगी। इससे वो नेता नाराज़ होंगे जो उस वक़्त बीजेपी का दामन थामे हुए थे जब हरियाणा में उसका झंडा थामने वाला कोई नहीं था। ऐसे नेताओं की नाराज़गी निश्चित रूप से समय के साथ नज़र आएगी. इनमें अनिल विज जैसे नेता भी शामिल हैं.”