4 दशक बाद आज खुला पुरी जगन्नाथ मंदिर का खजाना, ख़ास क्या है ?
भारत में सदियों से दान कर्म पर जोर दिया गया है,भक्तों और पूर्व राजाओं द्वारा दान किए गए भाई-बहनों भगवान जगन्नाथ और बलभद्र तथा देवी सुभद्रा के बहुमूल्य आभूषण 12वीं सदी से मंदिर के रत्न भंडार में रखे गए थे।
पुरी जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार चार दशकों में पहली बार रविवार को दोपहर 1.28 बजे खोला गया।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “आज, आपकी (भगवान जगन्नाथ की) इच्छा के अनुसार, रत्न भंडार 46 साल बाद एक बड़े उद्देश्य के लिए खोला गया है।”
कोषागार खुलने के बाद, 11 सदस्यों की एक टीम अंदर गई। टीम में श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक, पुरी कलेक्टर, एएसआई अधीक्षक (ओडिशा सर्कल), एसजेटीए की रत्न भंडारा उप-समिति के एक सदस्य, प्रक्रिया की देखरेख के लिए ओडिशा सरकार द्वारा गठित पर्यवेक्षी पैनल के दो सदस्य, गजपति महाराज (पुरी के पूर्व राजघराने) के प्रतिनिधि और मंदिर के सेवक समुदाय के चार लोग शामिल थे।

4 दशक बाद खुला पुरी जगन्नाथ मंदिर का खजाना।
एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरबिंदा पाधी ने मंदिर में प्रवेश करने से पहले कहा कि आंतरिक रत्न भंडार की संरचनात्मक सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता है और यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किया जाएगा।
पाधी ने कहा कि आंतरिक रत्न भंडार की मरम्मत के दौरान, आभूषणों और कीमती सामानों को लकड़ी के बक्सों में रखा जाएगा और मंदिर परिसर के भीतर पहचाने गए दो निर्दिष्ट स्थानों पर ले जाया जाएगा, जो 24×7 सीसीटीवी निगरानी के तहत होंगे।
एसजेटीए के मुख्य प्रशासक ने कहा कि आभूषणों और अन्य कीमती सामानों की सूची बनाने की प्रक्रिया बाद में की जाएगी, जिसके लिए राज्य सरकार ने मानक संचालन प्रक्रिया भी तैयार की है।
4 दशक बाद खुला पुरी जगन्नाथ मंदिर का खजाना।
राज्य के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने शनिवार को कहा था कि ओडिशा सरकार सूची बनाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मदद भी मांग रही है।
ओडिशा सरकार ने खजाने को खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी, कई साल पहले चाबियाँ गुम होने के कारण प्रयास विफल हो गया था। किन्तु बहुत लम्बे समय के प्लानिंग के बाद आखिर कार वो समय आ ही गया है। जससे सदियों पुराना रहस्य से पर्दा हट जाएगा।
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खजाना खोले जाने से एक दिन पहले प्रक्रिया की निगरानी के लिए गठित समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ ने कहा, “अब चाबी कोई मुद्दा नहीं है। चाहे चाबियाँ काम करें या नहीं, रत्न भंडार को वैसे भी खोला जाएगा। यह एक तथ्य है कि लंबे समय से ताला नहीं खोला गया है। चूंकि ताला लोहे का बना है, इसलिए इसमें जंग लगने की भी संभावना है। अगर जरूरत पड़ी तो हम ताला तोड़ देंगे।”
खजाने की रखवाली करने वाले सांपों की कहानियों के बीच, प्रशासन ने कहा कि वे सांप हेल्पलाइन के सदस्यों की मदद लेंगे। न्यायमूर्ति रथ ने कहा, “सांप हेल्पलाइन और मेडिकल टीम के सदस्य मंदिर के अंदर नहीं जाएंगे। वे 12वीं सदी के मंदिर के बाहर स्थित मंदिर प्रशासन कार्यालय के पास स्टैंडबाय पर रहेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो उनकी मदद ली जाएगी।”
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भक्तों और पूर्ववर्ती राजाओं द्वारा सदियों से दान किए गए भाई-बहनों – भगवान जगन्नाथ और बलभद्र, और देवी सुभद्रा के कीमती आभूषण 12वीं सदी के मंदिर के रत्न भंडार में रखे गए हैं। यह मंदिर के भीतर स्थित है और इसमें दो कक्ष हैं – भीतर भंडार (आंतरिक कक्ष) और बहारा भंडार (बाहरी कक्ष)।
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