ISRO sent satellite image before & after Dharali

इसरो ने धराली के तबाही से पहले और बाद की उपग्रह तस्वीर भेजी

 उत्तरकाशी के तबाही की गवाह बनी इसरो ने धराली के तबाही से पहले और बाद की उपग्रह तस्वीर भेजी जिससे धराली में अचानक आई बाढ़ से हुई तबाही के मंजर का पता चला।

इसरो के सेटेलाईट तस्वीरों के जरिए पता चला कि, खीरगंगा और भागीरथी नदियों के संगम पर भारी मात्रा में मलबा जमा हो गया है, जिसने 20 हेक्टेयर क्षेत्र को घेर लिया है और घरों को अपनी चपेट में ले लिया है।  जहां तहाँ  मलवे की ढेर है। 

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली और सुखी टॉप क्षेत्र में बादल फटने की दो घटनाओं से व्यापक विनाश के कुछ दिन बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक उपग्रह चित्र जारी किया है, जिसमें धराली गांव के आसपास अचानक आई बाढ़ के बाद हुई तबाही दिखाई गई है।

धिकारियों के अनुसार, मंगलवार दोपहर पारिस्थितिक रूप से नाज़ुक इस क्षेत्र में आई आपदा में कम से कम चार लोगों की मौत हो गई है। बचावकर्मियों ने बुधवार को दो शव बरामद किए, आकड़ों  के अनुसार9  भारतीय सैनिक जवान  तथा लगभग 50  आम लोग लापता होने की खबड़ आई है। 

इसरो ने धराली के तबाही से पहले और बाद की उपग्रह तस्वीर भेजी

मौसम में गुरुवार को सुधार के कारण राहत और बचाव कार्य अभियान में तेज़ी दिखाई दी, और ज़िले के मलवे में फॅसे विभिन्न स्थानों पर फंसे 270 से ज़्यादा लोगों को भारतीय वायुसेना के चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टरों की मदद से सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया।

एक जूनियर कमीशन अधिकारी समेत उसके नौ कर्मियों के अलावा 50 नागरिक लापता हैं। सेना ने बताया  हालाँकि, प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि लापता लोगों की संख्या और भी ज़्यादा हो सकती है।

इसरो ने कार्टोसैट-2एस उपग्रह इमेजरी का उपयोग पहले और बाद की स्थितियों की तीव्र, साथ-साथ तुलना करने के लिए किया (13 जून, 2024 से 7 अगस्त, 2025 तक की  की तुलनात्मक डेटा)

इसरो ने धराली के तबाही से पहले और बाद की उपग्रह तस्वीर भेजी

खीरगाड और भागीरथी नदियों के संगम पर लगभग 20 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला एक पंखे के आकार का मलबा नवीनतम तस्वीर में, दिखाई दे रहा है और तलछट की परत जमा दिखाई दे रहा है। इस जमाव ने संभवतः गाँव के अधिकांश क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया है, जिससे इमारतें कीचड़ और मलबे की देर बन चुकी है।

इसरो ने धराली के तबाही से पहले और बाद की उपग्रह तस्वीर भेजी। 

बाढ़ ने स्थलाकृति को ऐसे बदला जैसे कभी पुराना नक्सा ही न हो : नदी के चैनल काफ़ी चौड़े दिखाई देते हैं और नदी की आकृति में स्पष्ट रूप से बदलाव आया है, जो अचानक आई बाढ़ की प्रबलता और अचानक शुरुआत को दर्शाता है।

बाढ़ के मैदान में कई इमारतें और बुनियादी ढाँचे आंशिक रूप से या पूरी तरह से जलमग्न प्रतीत होते हैं – कुछ तो बाढ़-पूर्व के अपने पदचिह्नों से भी गायब हो गए प्रतीत होते हैं।

इसरो ने कहा, है कि “उपग्रह से प्राप्त चित्र चल रहे खोज एवं बचाव अभियानों में फंसे हुए लोगों तक पहुँचने और अलग-थलग पड़े क्षेत्र से संपर्क बहाल करने में मदद करेंगे।”

इस घटना ने हिमालयी की गोद में बसे बस्तियों आपदाओं के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता की पोल खोलकर रख दी है । इस घटना के कारणों का पता लगाने वैज्ञानिक  खोज  के साथ लिए वैज्ञानिक विश्लेषण किया जा रहा है।”

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 5 अगस्त, 2025 की आई हुई आपदा से, दोपहर को खीर गंगा नदी में मूसलाधार बारिश के कारण अचानक बाढ़  की स्थिति बन गयी। विगत स्थिति का जायजा  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी  लेने धराली गाँव पहुँच गए थे।

समुद्र तल से 8,600 फीट ऊपर बसे धराली कस्बे में बाढ़ ने होटलों दुकानों और आवासीय क्षेत्रों कोकी गवाही बनी। जिस भी इलाके से गुजरी वहाँ लोगों और घरों सहित अपने रास्ते में आने वाली हर चीज़ को निगलती हुई दिखाई दे रही थी।

उत्तरकाशी बाढ़ में दर्जनों लोगों के बहने की आशंका 130 बचाए गए

(एजेंसियों से इनपुट आभर )

 

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