महाशिवरात्रि हिन्दु धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के याद में भी मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार
यह पर्व हिन्दू पंचांग के फागुन मास शुक्ल पक्ष कीचतुर्थी को मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन शिव मंदिरों में भगवान शिव की पूजा, अर्चना, और ध्यान किया जाता है।
इस दिन कई लोग व्रत रखते हैं, तथा सोभाविक रूप से पूजा अर्चना करते है। पुरे भारत वर्ष या अन्य जगहों पर शिवलिंग के ऊपर जला भिषेक करते है। विशेषकर जहाँ जहाँ ज्योतिर्लिग के ऊपर ऊपर जल अर्पण के लिए लम्बी कतार बनीं रहती है
महाशिवरात्रि के दिन विशेष प्रार्थनाएँ, मंत्रों, और भजनों की अर्चना की जाती है। यह त्योहार शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण समय है जब वे अपने भावनात्मक और आध्यात्मिक जीवन को समृद्ध करने का प्रयास करते हैं।
महाशिवरात्री हिन्दु धर्म और महत्व योग के स्रोत आदियोगी
पंचांग के अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि की चतुर्दशी तिथि, किन्तु श्रद्धालु के लिए पुरे दिन और रात भोले शंकर की पूजा के लिए बराबर होती है।
कुछ प्रमुख मंत्र और प्रार्थनाएँ:
- ॐ नमः शिवाय: (Om Namah Shivaya): यह मंत्र शिव को समर्पित है। इसे ध्यान के साथ जपने से शिव की कृपा मिलती है और भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ (Om Tryambakam Yajamahe Sugandhim Pushtivardhanam Urvarukamiva Bandhanan Mrityormukshiya Maamritat): यह मंत्र रोग नाशक और मृत्यु के प्रति मुक्ति के लिए प्रार्थना करता है।
- शिव चालीसा (Shiva Chalisa): यह चालीसा शिव की महिमा का वर्णन करती है और उनकी प्रशंसा करती है।
- महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra): यह मंत्र रोग और मृत्यु के खिलाफ रक्षा करने के लिए प्रार्थना करता है और जीवन की सुरक्षा के लिए उत्तम माना जाता है।
महाशिवरात्री हिन्दु धर्म और महत्व योग के स्रोत आदियोगी। शिव का रूप आदि योगी के रूप में देखा जा सकता है .
“आदियोगी आपको बीमारी, असुविधा और गरीबी से मुक्ति दिलाने के लिए यहां हैं – सबसे बढ़कर, जीवन और मृत्यु की प्रक्रिया से।” -सद्गुरु
15,000 साल से भी पहले, सभी धर्मों से पहले, आदियोगी, पहले योगी ने अपने सात शिष्यों, सप्तर्षियों को योग का विज्ञान दिया था। उन्होंने 112 तरीके बताए, जिनके माध्यम से मनुष्य अपनी सीमाओं से परे जाकर अपनी अंतिम क्षमता तक पहुँच सकता है। आदियोगी की पेशकश व्यक्तिगत परिवर्तन के लिए उपकरण हैं, क्योंकि व्यक्तिगत परिवर्तन ही दुनिया को बदलने का एकमात्र तरीका है। उनका मूल संदेश यह है कि मानव कल्याण और मुक्ति के लिए “अंदर ही एकमात्र रास्ता है”। 15 जनवरी 2023 को, कर्नाटक के माननीय मुख्यमंत्री द्वारा “आदियोगी – योग के स्रोत” के प्रतिष्ठित चेहरे का अनावरण किया गया। आदियोगी 112 फीट लंबे हैं, जो कल्याण प्राप्त करने और अपने परम स्वभाव को महसूस करने के लिए उनके द्वारा बताए गए 112 तरीकों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
योगेश्वर लिंग:
आदियोगी के पास योगेश्वर लिंग स्थापित है, जिसे सद्गुरु ने मानव प्रणाली में पाँच प्रमुख चक्रों की अभिव्यक्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया था। योगेश्वर लिंग की उपस्थिति के साथ आदियोगी एक जीवित इकाई बन गए हैं।
आदियोगी परिसर प्रतिदिन प्रातः 6:00 बजे से सायं 8:00 बजे तक खुला रहता है।
कुल दोष:
कुल दोष एक ऊर्जावान बाधा को संदर्भित करता है जो किसी विशेष आनुवंशिक समूह से संबंधित लोगों को प्रभावित करता है, चाहे वह परिवार हो, कुल हो या समुदाय हो।
योग में, यह समझा जाता है कि किसी व्यक्ति की ऊर्जा प्रणाली पर अंकित कर्म स्मृति भविष्य की पीढ़ियों को प्रेषित की जाती है। नतीजतन, एक पूरा कुल दोषों को विरासत में ले सकता है और इसे पीढ़ियों तक ले जा सकता है।
योग संध्या सद्गुरु द्वारा प्रस्तुत एक शक्तिशाली कार्यक्रम है जो इस आनुवंशिक संबंध का उपयोग करके कुल दोषों को कम करने में सहायक है। एक परिवार के रूप में इस कार्यक्रम से गुजरने से, व्यक्ति को अपार स्वास्थ्य और आध्यात्मिक लाभ मिल सकते हैं जो भविष्य की पीढ़ियों को भी दिए जाते हैं।(आदियोगी – योग का स्रोत)
@Expressupdate अपने पाठकों को महाशिवरात्री की बधाई देता है।
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