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23 मई गुरु पूर्णिमा महर्षि वेद व्यास की जयंती शुभ मुहूर्त

23 मई गुरु पूर्णिमा महर्षि वेद व्यास की जयंती शुभ मुहूर्त, गुरु पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्यौहार है के कारणों से गुरु पूर्णिमा का खास महत्व है।

जिसे गुरु (शिक्षक या आध्यात्मिक मार्गदर्शक) के प्रति सम्मान और श्रद्धा प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। यह पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। 2024 में गुरु पूर्णिमा 23 मई को मनाई जा रहा है।

गुरु पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त:

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 23 मई2024 को सुबह ०5:39 बजे

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    23 मई गुरु पूर्णिमा महर्षि वेद व्यास की जयंती शुभ मुहूर्त
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 24 मई 2024 को सुबह ०5:15 बजे

पूजा और अन्य अनुष्ठानों के लिए शुभ समय:

  • प्रातः काल: ०6:०० बजे से ०9:०० बजे तक
  • मध्याह्न काल: 12:०० बजे से ०1:3० बजे तक
  • सायंकाल काल: ०6:०० बजे से ०7:3० बजे त
  • c

इन शुभ मुहूर्तों में गुरु पूजा, हवन, और अन्य धार्मिक अनुष्ठान करना विशेष फलदायी माना जाता है। शुभ मुहूर्त का चयन करते समय अपने गुरु और परिवार के सदस्यों से भी परामर्श करना उचित होगा।

गुरु पूर्णिमा के दिन की महिमा को बनाए रखने के लिए दिनभर सकारात्मक कार्यों और साधना में समय बिताना उचित होता है। ध्यान, प्रार्थना, और गुरु के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है .पूर्णिमा पर श्रद्धालु भगवान सत्यनरायन के रूप की पूजा अर्चना भी करते हैं।

पूर्णिमा का महत्व कई कारणों से है
  1. महर्षि वेद व्यास की जयंती: गुरु पूर्णिमा को महर्षि वेद व्यास की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने वेदों का संकलन किया और महाभारत की रचना की। उन्हें आदिगुरु के रूप में भी माना जाता है।
  2. गुरु-शिष्य परंपरा: यह दिन गुरु-शिष्य परंपरा को सम्मान देने का दिन है। प्राचीन समय से ही गुरु  को ज्ञान का सर्वोच्च स्रोत माना गया है। गुरु पूर्णिमा पर शिष्य अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं।
  3. आध्यात्मिक विकास: यह पर्व आध्यात्मिक विकास और आत्म-साक्षात्कार के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन शिष्य अपने गुरु से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं।
  4. योग और ध्यान: गुरु पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से योग और ध्यान के सत्र आयोजित किए जाते हैं। यह दिन आत्मनिरीक्षण और आध्यात्मिक साधना के लिए आदर्श माना जाता है।
  5. धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम: इस दिन विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें भजन, कीर्तन, प्रवचन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ शामिल होती हैं।

23 मई गुरु पूर्णिमा महर्षि वेद व्यास की जयंती शुभ मुहूर्त

गुरु पूर्णिमा का पर्व न केवल हिन्दू धर्म में, बल्कि जैन और बौद्ध धर्म में भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन बौद्ध अनुयायी गौतम बुद्ध को उनके प्रथम धर्मोपदेश के लिए सम्मानित करते हैं, जिसे उन्होंने सारनाथ में अपने शिष्यों को दिया था।

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इस प्रकार, गुरु पूर्णिमा गुरु-शिष्य परंपरा, ज्ञान, और आध्यात्मिकता का उत्सव है, जो व्यक्ति के जीवन में गुरु के महत्व को रेखांकित करता है।

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर किनकी ख़ास पूजा की महत्ता है।

गुरु पूर्णिमा का पर्व मुख्यतः गुरु (शिक्षक या आध्यात्मिक मार्गदर्शक) को समर्पित होता है, लेकिन इस दिन विशेष रूप से निम्नलिखित देवताओं और महापुरुषों की पूजा की जाती है:

  1. महर्षि वेद व्यास: गुरु पूर्णिमा को महर्षि वेद व्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है। वेद व्यास को चारों वेदों का संकलनकर्ता और महाभारत के रचयिता माना जाता है। उन्हें आदिगुरु के रूप में सम्मानित किया जाता है।
  2. भगवान शिव: कुछ परंपराओं में भगवान शिव की पूजा भी की जाती है क्योंकि उन्हें आदि गुरु या आदिनाथ के रूप में जाना जाता है। शिव को संपूर्ण ज्ञान और योग के गुरु के रूप में भी माना जाता है।
  3. भगवान विष्णु: विष्णु के विभिन्न अवतारों को भी गुरु पूर्णिमा के अवसर पर पूजते हैं। विशेषकर भगवान कृष्ण, जिन्होंने अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया था, का पूजन किया जाता है।
  4. गौतम बुद्ध: बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन गौतम बुद्ध की पूजा करते हैं, क्योंकि उन्होंने इसी दिन सारनाथ में अपने पहले शिष्यों को धर्म चक्र प्रवर्तन सुत्त का उपदेश दिया था।

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