प्रधानमंत्री मोदी ने रमजान के मौके पर की शुभकामनाएं दीं, जहां-ए-खुसरो कार्यक्रम में सूफी विरासत की प्रशंसा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने बहुलवादी संदेश के लिए सूफी परंपरा के संतों का सम्मान करते हुए उनकी प्रशंसा की तथा कहा कि ‘ वे कुरान की आयतें पढ़ते थे और वेदों को भी सुनते थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जहान-ए-खुसरो के 25वें वर्षगाँठ के अवसर पर आयोजन में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने रमजान के महीने की शुभकामनाएं दीं और सूफी परंपरा की भारत की साझा विरासत के अभिन्न अंग के रूप स्वीकार करते हुए प्रशंसा की।

पीएम मोदी रमजान की शुभकामनाएं दी सूफी विरासत की प्रशंसा की, और सूफी परंपरा की भारत की साझा विरासत के अभिन्न अंग के रूप में प्रशंसा की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जहान-ए-खुसरो के 25वें आयोजन में भाग लिया, जहां उन्होंने रमजान के महीने की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा उन्होंने सूफी परंपरा के संतों की उनके बहुलवादी संदेश के लिए भी प्रशंसा की और कहा कि वे कुरान की आयतें पढ़ते थे और वेदों का ज्ञान को भी सुनते थे।
प्रसिद्ध सूफी कवि और विद्वान अमीर खुसरो के सम्मान में आयोजित इस कार्यक्रम में बोलते हुए मोदी ने कहा कि सूफी परंपरा ने भारत में एक विशिष्ट पहचान स्थापित की है। सूफी कलाकारों के प्रदर्शन के बाद उन्होंने कहा कि उनका संगीत भारतीय लोगों की साझा विरासत का प्रतिनिधित्व करता है, एक ऐसी परंपरा जिसे लोग मिलजुलकर जीते और मनाते हैं।
पीएम मोदी रमजान की शुभकामनाएं दी सूफी विरासत की प्रशंसा की तथा संस्कृत को दुनिया की सबसे बेहतरीन भाषा बताया।
प्रधानमंत्री ने प्रेम और सद्भाव के स्थायी संदेशों के लिए निजामुद्दीन औलिया, रूमी, रसखान जैसे लोगों (जिन्होंने मुसलमान होने के बावजूद भगवान कृष्ण को समर्पित भक्ति रस कीकविताएं लिखीं) और खुसरो सहित कई सूफी संतों और कवियों के योगदान की भी सराहना की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सूफी संत सिर्फ मस्जिदों और दरगाहों तक ही सीमित नहीं रहते थे। उन्होंने कहा कि अगर वे पवित्र कुरान की आयतें पढ़ते थे तो वेदों की वाणी भी सुनते थे। 13वीं सदी में जन्मे खुसरो ने भारत को सभी देशों से श्रेष्ठ बताया, इसके विद्वानों को बेजोड़ बताया और संस्कृत को दुनिया की सबसे बेहतरीन भाषा बताया। उन्होंने
पीएम मोदी रमजान की शुभकामनाएं दी सूफी विरासत की प्रशंसा की, उन्होंने ईरान की अपनी यात्रा को याद किया, जहां उन्होंने मिर्जा गालिब की एक कविता उद्धृत की थी
प्रधानमंत्री मोदी इस बात पर भी प्रकाश डाला कि देश की दार्शनिक और गणितीय खोजों का वैश्विक प्रभाव कैसे पड़ा।
मोदी ने 2015 में अफगानिस्तान की संसद में अपनी यात्रा को याद किया, जहां उन्होंने रूमी की कही गई बातों का हिंदी अनुवाद सुनाया था। उन्होंने कहा कि रूमी का मानना था कि वे किसी एक जगह के नहीं, बल्कि हर जगह के हैं, जो उपनिषदों के वसुधैव कुटुंबकम (दुनिया एक परिवार है) के विचार से मिलता-जुलता है।
प्रधानमंत्री आज दिल्ली में सूफी संगीत महोत्सव में भाग लेंगे।
मोदी ने कहा, “ये विचार मुझे प्रेरित करते हैं क्योंकि मैं विभिन्न देशों में भारत का प्रतिनिधित्व करता हूं।” उन्होंने ईरान की अपनी यात्रा को याद किया, जहां उन्होंने मिर्जा गालिब की एक कविता उद्धृत की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर कोई मन बनाए तो काशी और काशान (एक ईरानी शहर) के बीच की दूरी बहुत कम है।