बंगाल में कथित तौर पर सरकार से हुई नजरअंदाज के कारण तनाव से आई स्ट्रोक से एक शिक्षक की बंगाल में मौत हो गई।
4 अप्रैल को सुप्रीम कोर्टकी सुनवाई के दौरान आई आदेश के बाद नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों परेशान रहने लगे बंगाल में तनाव और नौकरी के बिच झूल रहे शिक्षकों की मौत हो गई । अब तक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री इस ममम्ले में चुप है।
इस बीच, ममता सरकार शुक्रवार (30 मई, 2025) को नई भर्तियाँ शुरू करने के लिए अधिसूचना जारी करने वाली है, क्योंकि शिक्षकों का विरोध प्रदर्शन जारी है। एक अन्य घटनाक्रम में, बुधवार को “तनाव” के कारण एक शिक्षक की मौत ने मामले को और जटिल बना कर सरकार पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है।
बंगाल में तनाव और नौकरी के बिच झूल रहे शिक्षकों की मौत
शिक्षकों ने कहा कि उन्होंने स्थानीय भाजपा नेताओं, जिनमें एक सांसद और पार्टी के जिला अध्यक्ष शामिल हैं, को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री से मुलाकात का अनुरोध किया है।
प्रधानमंत्री ने गुरुवार (29 मई) को पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले में जनता को संबोधित किया।
4 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अपनी नौकरी गंवाने वाले प्रदर्शनकारी शिक्षकों से न तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और न ही प्रधानमंत्री ने मुलाकात की है। इस बीच, ममता सरकार शुक्रवार (30 मई, 2025) को नई भर्तियां शुरू करने के लिए अधिसूचना जारी करेगी, क्योंकि शिक्षक अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। इसी बीच घटनाक्रम में, बुधवार को “तनाव” के कारण आई परेशानी से शिक्षक की मौत ने मामले को और जटिल बना दिया है।
बंगाल में तनाव और नौकरी के बिच झूल रहे शिक्षकों की मौत
शिक्षकों के अनुसार हमरे स्थानीय भाजपा नेताओं, जिनमें एक सांसद और पार्टी के जिला अध्यक्ष शामिल हैं, को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री से मुलाकात का अनुरोध किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (29 मई) को पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले में जनता को संबोधित किया।
विज्ञापन प्रदर्शनकारी शिक्षकों के नेताओं में से एक चिन्मय मंडल ने 28 मई को कहा था, “हम अलीपुरद्वार में प्रधानमंत्री से मिलना चाहते हैं… हम प्रधानमंत्री से अनुरोध करते हैं कि कम से कम हमें सुनने का मौका दें।” कुछ प्रतिनिधि अलीपुरद्वार गए थे और स्थानीय पुलिस को प्रधानमंत्री से मिलने की अपनी इच्छा के बारे में बताया था।
उन्होंने बार-बार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की मांग की है। गुरुवार को दक्षिण कोलकाता के कालीघाट में छह महिलाओं ने सीएम के आवास पर जाने की कोशिश भी की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक लिया और हिरासत में ले लिया। बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।
शिक्षक की ‘तनाव’ से मौत कोण है जिम्मेवार:
गुरुवार को प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने कहा कि अमुई पारा रिफ्यूजी स्कूल के शिक्षक प्रवीण कर्माकर की पिछले दिन मौत हो गई थी। शिक्षकों ने कहा कि वह जाहिर तौर पर “गंभीर मानसिक तनाव से पीड़ित थे, जिसके कारण उन्हें स्ट्रोक हुआ। उन्हें एक अंतर्निहित बीमारी थी और वह अपनी नौकरी खोने का दबाव नहीं झेल पाए।”
शिक्षकों की ओर से एक आधिकारिक बयान में आगे कहा गया। परीक्षा पर मुख्यमंत्री के फैसले ने इस मौत की पीड़ा को और बढ़ा दिया है। अगर हम उचित न्याय के बिना अब भी सम्मान के साथ स्कूल नहीं लौट सकते, तो पश्चिम बंगाल निर्दोष शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों की लाशों का ढेर बन सकता है। राज्य सरकार, न्यायपालिका और गंदी राजनीति करने वाली हर पार्टी को इसकी पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए,”
अनिश्चित भविष्य
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से मिलने की उनकी अपील अनसुनी हो गई है, उनका भविष्य अनिश्चित दिख रहा है, जबकि राज्य सरकार नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने वाली है।
हालांकि प्रधानमंत्री शिक्षकों से नहीं मिले, लेकिन उन्होंने अपनी रैली के दौरान इस मुद्दे पर टिप्पणी की। “भ्रष्टाचार का सबसे बुरा असर युवाओं पर पड़ता है। भ्रष्टाचार से गरीब और मध्यम वर्ग किस तरह प्रभावित होता है, यह हमने शिक्षक भर्ती घोटाले के जरिए देखा है। तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हजारों शिक्षकों और उनके परिवारों का भविष्य बर्बाद कर दिया है।”
श्री मोदी ने कहा कि भर्ती घोटाला न केवल शिक्षकों की संभावनाओं को बर्बाद कर रहा है, बल्कि पश्चिम बंगाल में शिक्षा व्यवस्था को भी बर्बाद कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ठीक बाद 7 अप्रैल को प्रदर्शनकारी शिक्षकों से ममता बनर्जी की मुलाकात हुई थी। लेकिन उन्होंने कोई बातचीत नहीं की; उन्होंने कोलकाता के एक सभागार में भाषण के दौरान केवल कुछ वादे भी किए।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों ने अप्रैल के अंत में काम फिर से शुरू कर दिया, जब अदालत ने “बेदाग” शिक्षकों को 31 दिसंबर तक काम पर लौटने की अनुमति दी, जिस समय तक नई भर्ती पूरी होने की उम्मीद है।
हो रहे प्रदर्शन में 7 मई को विरोध प्रदर्शनों का एक नया दौर शुरू हुआ। शिक्षक साल्ट लेक में राज्य शिक्षा विभाग के मुख्यालय विकास भवन के बाहर बैठे हैं। विरोध प्रदर्शन अब अपने 23वें दिन में है। वे मांग कर रहे हैं कि सीएम उनसे मिलें और उनकी मांग सुनें कि वे नई परीक्षाएं नहीं देंगे। लेकिन 15 मई को जब उन्होंने विकास भवन का घेराव कर दबाव बनाने की कोशिश की, तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर उन्हें तितर-बितर कर दिया।