होली, जिसे रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है रंग, खुशियाँ नवीनीकरण से सरावोर करने वाला एक प्रतिष्ठित हिंदू त्योहार होली है
होली प्रतिकात्मक्ता का प्रतिक है। इस वर्ष, होली 25 मार्च को मनाई जायेगी।अनुष्ठानों में होलिका दहन जलाना, नेचुरल रंगों से खेलना और मिठाइयों का आदान-प्रदान करना शामिल है।
होलिकादहन आज यनि 24 मार्च को किया जाएगा। सुबह 9:56 बजे से भद्रा शुरू हो गई है, जो रात्रि 11 :13 तक रहेगा । मान्यता के अनुसार भद्रा काल में कोई शुभ काम नहीं करना चाहिए। इसलिए रविवार को होलिका दहन भी 11.14 बजे के बाद ही किया जाना चाहिए। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 12.20 बजे तक रहेगा। ज्योतिषाचार्य का कहना है कि बताती हैं कि फाल्गुन शुक्ल पक्ष की प्रदोष में पूर्णिमा को भद्रा के उपरांत होलिका का दहन किया जाता है। इस वर्ष होलिका दहन 24 मार्च रात 11:14 से लेकर 12:20 के बीच करना ही शास्त्र के अनुसार ठीक रहेगा।
2024 की होली में क्या खास है।

मार्केट के में हर वर्ष की भांति काफी धूम है। लोक सभा इलेक्शन नजदीक है मोदी लहर की धूम है। मोदी की मुखौटे की मांग अधिक है, इतना जयदा की दुकानदार ग्राहक को संतुष्ट नहीं कर पा रहे हैं। इसके आलावा राहुल , अखलेश , तेजस्वी अन्य लोगों की मुखौटे की भी मांग जोड़ो पर है।
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होली पर कई किससे महसूर है, जो इस त्योहार को और भी रोचक और महत्वपूर्ण बनाती है। यहां कुछ प्रमुख किस्सों के बारे में जानकारी है। होली 25 मार्च को मनाई जायेगी इस बार होली क्या खास लेकर आई है
- हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद: होली के महान किस्से में से एक है हिरण्यकश्यप और उसके पुत्र प्रह्लाद का किस्सा महसूर है। प्रह्लाद भगवान विष्णु भक्ति में रत रहता था,जबकि हिरण्यकश्यप उसकी भक्ति को रोकने की कोशिश करता था। यह किस्सा भक्ति और सत्य के प्रतीक के रूप में माना जाता है।
- राधा-कृष्ण का प्यार: होली के दिन लोग भगवान कृष्ण और उनकी प्रिय गोपियों का प्यार याद करते हैं। इसके अलावा, लोग राधा-कृष्ण के भजन गाते हैं और उनके किस्से सुनते हैं।मथुरा वृन्दावन में एक सपताह पहले से ही इस त्यौहार की शुरुआत हो जाती है।
- होली के रंग: होली के रंगों की कहानी भी महत्वपूर्ण है। लोग मानते हैं कि भगवान कृष्ण ने अपनी प्रिय राधा को रंग लगाने के लिए होली के रंग इस्तेमाल किए थे। पुराने मान्यताओँ के अनुसार पूतना का वध भी आज के ही दिन हुआ था। कामदेव का पुनर्जन्म के किस्से भी आज के ही दिन सुने गए है।
- प्रहलाद और होलिका: प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद से प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया था, लेकिन होलिका को उसके अभिमान में अग्नि में जलाना पड़ा था। यह कहानी होली के त्योहार के अवसर पर भगवान की रक्षा और बुराई के प्रति विजय का प्रतीक है।
- मसान की होली (Masan Holi) :वाराणसी में अनोखे तरीके से मशान होली खली जाती है, जो रंगों, फूलों की जगह अलग वाराणसी में भस्म से खेली जाती है, ये परंपरा काफी पुराणी है।
लड्डुओं फूलों और लाठी वाली होली से अलग काशी में चिता भस्म से भी होली खेली जाती है जो इस वर्ष 21 मार्च को खेली जाएगी। ये एक बहुत ही अलग तरह की होली होती है जिसे देखने दूर- दूर से पर्यटक आते हैं। वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर इस होली का जश्न देखा जा सकता है।
ये केवल कुछ किस्से हैं जो होली के पर्व को अधिक गहराई और महत्वपूर्णता प्रदान करते हैं। इन किस्सों को याद करके लोग होली के त्योहार को और भी धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाते हैं।
जोतिषों का कहना है,कि होलिका दहन के बाद होलिका की भस्म को शिवलिंग पर चढ़ना चहिए। और दूसरे दिन अपने इस्ट देवता को पसंद का गुलाल अर्पित करना चाहिए।
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